निधर्मी, अधर्मी या परधर्मी

धर्म आपके गुरु समान है.
निधर्मी, अधर्मी या परधर्मी
आपके दोस्त बंधु सखा हो सकते है,
कठिण समय मे आपकी सहायता कर सकते है,
लेकिन धर्म आपका धर्म
आपको अंदरसे मजबुत बनाता है.
यदी आपका सह धर्मी कमजोर पडे,
तो उनकी मदद किजीये, इससे धर्म बढेगा.
सिर्फ धार्मिक कार्य करके हम आगे नही जा सकते,
हमे आर्थिक और व्यावहारीक सहकार्य करना होगा.
जबतक हम धर्म मे उच्च नीच्चता रखेंगे,
हम खुदके धर्म बांधवो को
दुसरे धर्म मे प्रवेश करने मे मजबुर करेंगे,
समानता ना हि सही, कम से कम सहायता किजीये.
धर्म जताइये, धर्म बढाइये.
अभिमान मे चाहे धर्म को ना रखे
लेकिन धर्म का अभिमान किजीये.
कोई धर्म का अपमान करे,
तो धर्म का अहंकार भी किजीये.

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